गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Monday, July 12, 2004
वर्तमान
मुझे बेबस दिलों में पल रहे अरमान लिखने हैं ग़रीबों के घरों के दर्द और तूफ़ान लिखने हैं कभी मौक़ा मिलेगा तो चमन की बात कर लूंगा अभी फुटपाथ के गलते हुए इन्सान लिखने हैं
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