गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Saturday, December 18, 2004
मैं शायर नहीं होता
मुहब्बत के बिना अहसास से दिल तर नहीं होता अगर अहसास न हो तो सुख़न बेहतर नहीं होता मेरी पहचान है ये शायरी, ये गीत, ये ग़ज़लें किसी से प्यार न करता तो मैं शायर नहीं होता
No comments:
Post a Comment