Wednesday, December 1, 2004

मुश्क़िल है

मैं अपने दिल के अरमानों को बहला लूँ तो मुश्क़िल है
अगर ख़ुद को किसी सूरत मैं समझा लूँ तो मुश्क़िल है
इधर दिल की तमन्ना है, उधर उनकी हिदायत है
नज़र फेरूँ तो मुश्क़िल है, नज़र डालूँ तो मुश्क़िल है 

© चिराग़ जैन

No comments:

Post a Comment