Friday, June 17, 2005

गीत लिखते वक़्त

इक दफ़ा पलकों को अश्क़ों में भिगो लेते हैं हम
और फिर अधरों पे इक मुस्कान बो लेते हैं हम
गीत गाते वक्त रुंध ना जाए स्वर इसके लिए
गीत लिखते वक्त ही जी भर के रो लेते हैं हम

© चिराग़ जैन 

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