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Monday, December 11, 2006
सुरों की आह
ज़माने ने सुरों की आह को झनकार माना है कहीं संवेदना जीती तो उसको हार माना है बड़े बईमान मानी तय किए हैं भावनाओं के जहाँ दो दिल तड़पते हों उसी को प्यार माना है
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