गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Thursday, January 19, 2012
विपक्षी
ग़ायब से हो गए हैं, अख़बार से विपक्षी चुन-चुन के आ गए हैं, बेकार से विपक्षी बचने लगे हैं क्यूंकर तकरार से विपक्षी शायद मिले हुए हैं, सरकार से विपक्षी
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