Friday, January 6, 2012

अभिव्यक्ति

तुम्हारी अनुपस्थिति में
राह भटक जाती हैं
अभिव्यक्तियाँ!

अक्सर ऐसा होता है
कि उपलब्धि मिलने पर
होठों पर मुस्कान लिए
मेरी निग़ाह तलाशती है
इक चेहरा
अपने आस-पास।

और जब
विफल होने लगती है तलाश
तो झट से
आँखों की कोरों पर
आ ठहरती है
अधरों की मुस्कान।

और दु:ख की घड़ियों में
तुम्हें आसपास न पाकर
मुस्कुराकर रह जाते हैं होंठ!

© चिराग़ जैन

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