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Tuesday, April 9, 2013
उम्मीद के बिना
तुम हमेशा मुझे दोषी ठहराती हो कि मैं अपने रिश्तों में उम्मीदें बहुत रखता हूँ
लेकिन समझ नहीं पाता हूँ मैं कि उम्मीद के बिना निभ ही कैसे सकता है कोई रिश्ता
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