भारत की आज तस्वीर जो बनी हुई है
उसमें पुरानी हर रीत का भी रंग है
हल्दीघाटी वाली एक हार की कसक भी है
पोरस की स्वाभिमानी जीत का भी रंग है
चंद्रगुप्त मौर्य वाले साहस का नूर भी है
चाणक्य शिखा की कूटनीति का भी रंग है
झाँसी वाले शौर्य की कहानी तलवार पे है
पीठ पर ममता की प्रीत का भी रंग है
भारत की वीणा पे जो सरगम गूंजती है
उसमें वीणा के हर तार का भी योग है
क्रांति के बारूदों के धमाकों की धमक भी है
शांति का व मान-मनुहार का भी योग है
तलहट में छिपे खज़ानों की खनक भी है
अभिशाप झेलते बिहार का भी योग है
काम की प्रभावना की अजंता-एलोरा भी है
राम-कृष्ण योग के विचार का भी योग है
बरखा में नृत्यमग्न मोर अनिवार्य है तो
मोर की नमी से भरी कोर भी ज़रूरी है
तुंग हिमगिरि की विशालता आवश्यक है
सागर की गर्जना का रोर भी ज़रूरी है
अवध की सुरमई शाम अनिवार्य है तो
काशी के किनारों वाली भोर भी ज़रूरी है
देश की अखण्डता को पूर्ण करने के लिए
भारती का एक-एक पोर भी ज़रूरी है
© चिराग़ जैन
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