Sunday, July 16, 2017

अपना कहकर मिलते थे

अपने क़द के भीतर रहकर मिलते थे
नाराज़ों से आप सुलह कर मिलते थे
हम तो उनसे उस मुद्दत से वाकिफ़ हैं
जब वो हमको अपना कहकर मिलते थे

© चिराग़ जैन

No comments:

Post a Comment