Thursday, November 19, 2020

दल बदलू का कार्यकर्ता

कल तक जो थे दोस्त, कहा अब उनको दुश्मन मान
हम पुतले हैं या इंसान

कल तक जिनको गाली दी थी
जुमला छाप जुगाली की थी
अब कहते हो गाली छोड़ करें उनका गुणगान
हम पुतले हैं या इंसान

कल तक जिनके कपड़े फाड़े
हमने जिनके टैंट उखाड़े
अब तुम ख़ुद ही बैठ गये हो उनका तम्बू तान
हम पुतले हैं या इंसान

जब तुम चाहो पत्थर मारें
जब तुम बोलो चरण पखारें
स्वार्थ तुम्हारे पूरे होते, हम होते बलिदान
हम पुतले हैं या इंसान

© चिराग़ जैन

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