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Saturday, February 27, 2021
सामाजिक जीवन के लोग
सामाजिक जीवन
Wednesday, February 24, 2021
पायल की रुनझुन
बाक़ी सब कुछ सम्भव है पर परिवार मुझी से सम्भव है
बर्तन की खनखन चौके में
पायल की रुनझुन आंगन में
मेरे होंठो पर सजती है
गीतों की गुनगुन सावन में
जीवन के सोलह सपनों का सिंगार मुझी से सम्भव है
बाक़ी सब कुछ सम्भव है पर परिवार मुझी से सम्भव है
हर रोज़ सुबह की रंगोली
होली, दीवाली मुझसे है
रिश्तों की शोभा मुझसे है
घर की ख़ुशहाली मुझसे है
जीवन की पहली कोशिश का सत्कार मुझी से सम्भव है
बाक़ी सब कुछ सम्भव है पर परिवार मुझी से सम्भव है
बचपन में माँ का नाम हूँ मैं
यौवन की मीठी शाम हूँ मैं
अस्वस्थ बुढापे की ख़ातिर
हर इक पीड़ा पर बाम हूँ मैं
जीवन की हर इक दुविधा का उपचार मुझी से सम्भव है
बाक़ी सब कुछ सम्भव है पर परिवार मुझी से सम्भव है
© चिराग़ जैन
कुण्ठित के नाम पाती
Monday, February 22, 2021
काश हम समझ सकें!
Friday, February 19, 2021
शिक़ायत करना मना है
Sunday, February 14, 2021
प्रेम : पावनता का द्वार
Sunday, February 7, 2021
प्यार समझना मुश्किल क्यों है
इस दुनिया में प्यार रहे तो
भावों का सत्कार रहे तो
कितना प्यारा होगा ये संसार समझना मुश्किल क्यों है
प्यार समूचे जीवन का है सार; समझना मुश्किल क्यों है
किस्सा सुनकर मन सबका कहता है इसमें भूल हुई है
बिन मतलब की दुनियादारी पाँखुरियों में शूल हुई है
जो रांझे के साथ हुई थी हम वो भूल सुधारेंगे कब
अपने मन से बिन मतलब की दुनियादारी मारेंगे कब
इनको सुख से जीने दें इस बार; समझना मुश्किल क्यों है
प्यार समूचे जीवन का है सार; समझना मुश्किल क्यों है
नज़रें टकराने पर जो आवाज़ हुई, वो शोर नहीं है
मन ही मन सब कह लेता है, पर फिर भी मुँहजोर नहीं है
अपनी इच्छाएं बिसरा कर उसकी मुस्कानें बोते हैं
इक-दूजे की ख़्वाहिश पूरी करके दुगने ख़ुश होते हैं
शुद्ध मुनाफे का ऐसा व्यापार समझना मुश्किल क्यों है
प्यार समूचे जीवन का है सार; समझना मुश्किल क्यों है
दुनिया को मन में फूले सब फूल दिखाई दे जाते हैं
आँखों-आँखों चलने वाले शब्द सुनाई दे जाते हैं
चेहरे का कब, क्यों, कैसा था रंग समझ में आ जाता है
पलकों के झुकने का हर इक ढंग समझ में आ जाता है
तो फिर इस दुनिया की ख़ातिर प्यार समझना मुश्किल क्यों है
प्यार समूचे जीवन का है सार; समझना मुश्किल क्यों है
© चिराग़ जैन