सामान्य जीवन के सुगम रास्ते को छोड़कर कुछ अलग करने का पागलपन मनुष्य को विशेष बनाता है, लेकिन इस विशेष जीवन का चुनाव करने वाले लोग (चाहे जिस भी क्षेत्र में हों) जो क़ीमत चुकाते हैं, उस पर कभी किसी का ध्यान नहीं जाता। बनी-बनाई राह छोड़कर अपनी पगडण्डी स्वयं बनानेवाले ये दीवाने अगर विफल हो जाएँ तो समाज इन्हें मूर्ख कहकर छोड़ देता है। लेकिन यदि ये लोग सफल हो जाएँ तो वही समाज इनकी बनाई पगडण्डी पर चलने लगता है।
जोखि़म उठाने की हिम्मत और पगडण्डी बनाने के लिए झाड़-झंखाड़ से जूझने का जज़्बा विफल होनेवाले में भी उतना ही होता है, जितना सफल होनेवाले में होता है। राजनीति, अध्यात्म, साहित्य, कला, उद्योग, खेल और ऐसे प्रत्येक असामान्य क्षेत्र में काम करनेवाले हर व्यक्ति के भीतर एक ‘मनुष्य’ ज़रूर होता है, जो समाज की साधारण आँखों को कभी दिखाई नहीं देता।
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