Friday, May 7, 2021

श्मशानों में चहल-पहल है

सबके एकाकी मन में हैं
जाने कितनी शोक सभाएँ
पीपल के पेड़ों ने पूछा
इतने घण्ट कहाँ लटकाएँ

हर पल पर डर का कब्ज़ा है, हर क्षण पर दहशत के पहरे
घाव दिलों पर इतने गहरे, हँसना भूल चुके हैं चेहरे
आँखें रोकर पूछ रही हैं
कितने आँसू और बहाएँ
पीपल के पेड़ों ने पूछा
इतने घण्ट कहाँ लटकाएँ

कितना भीषण प्रश्न खड़ा है, उत्तर खोज रही हैं सदियाँ
क्रंदन झेल रहे हैं आंगन, तर्पण झेल रही हैं नदियाँ
लहरें रो-रो पूछ रही हैं
इतनी राख कहाँ ले जाएँ
पीपल के पेड़ों ने पूछा
इतने घण्ट कहाँ लटकाएँ

साँसों तक की लाचारी है, तन बेबस है, मन घायल है
बाज़ारों में सन्नाटा है, शमशानों में चहल-पहल है
कितने दिन से भभक रही हैं
ठण्डी होती नहीं चिताएँ
पीपल के पेड़ों ने पूछा
इतने घण्ट कहाँ लटकाएँ

© चिराग़ जैन

1 comment:

  1. चिराग भईया दिल को छूती है ये गीत 🙏🙏

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