Wednesday, December 15, 2021

आज बुलेटिन तेरा भाई पढ़ेगा!

एक एंकर स्टूडियो में नशा करके ख़बर पढ़ रहा था तो पूरे देश ने उसका मज़ाक़ बनाकर रख दिया। यह सरासर बदतमीज़ी है। ऐसे किसी का मज़ाक़ बनानेवाले समझ लें कि मज़ाक़ बनाने का अधिकार केवल मीडिया के पास है। वह लोकतंत्र, न्यायपालिका, जनभावना, चुनाव प्रक्रिया, राजनीति और यहाँ तक कि किसी की मुर्दनी तक का मज़ाक़ बनाने के लिए स्वतंत्र है।
रिया चक्रवर्ती की निजता, सुशांत राजपूत की आत्महत्या, आर्यन खान की गिरफ्तारी, शशि थरूर की निजी ज़िन्दगी, अभिषेक बच्चन की शादी, सुनील दत्त की शवयात्रा... सबको बेचकर खाने का अधिकार है मीडिया के पास।
कोसी नदी में कब बाढ़ आएगी और क्या तबाही मचाएगी इसको लेकर तीन-चार दिन तक शोर मचता है और फिर अगली ख़बर चलते ही कोसी का गला सूख जाता है। अब टकराएगा तूफान, ऐसे आएगा तूफान, यमुना की बाढ़ में डूब रही है दिल्ली, देश में केवल दो दिन का कोयला बचा है शेष, इतने बजे टकराएगा धूमकेतु, इस तारीख़ को तबाह हो जाएगी धरती... यह सब मज़ाक़ देश के मनोरंजन के लिए थोड़े ही किये जाते हैं। ये तो कवरिंग फायर की तरह चलने वाली ख़बरें हैं जिनकी आड़ में ‘जाने क्या क्या’ जनता की आँख में धूल झोंककर पार कर दिया जाता है।
यह मज़ाक़ देशहित में किया जाता है ताकि देश अनावश्यक तनाव से बचा रहे। इतने राष्ट्रभक्त पत्रकारों का मज़ाक़ उड़ाने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता।
नशा किया तो क्या अपराध हो गया। पहली बात तो यह कि अगले ने दिल्ली या यूपी में शराब पी थी। अगर बिहार या गुजरात में पी होती तब बोलते। तब कह सकते थे कि अपराध हुआ है। आपको भाई का डेडिकेशन ही समझ नहीं आता। इत्ती शराब पीने के बाद भी देश की ऐसी-तैसी करने के इस मौक़े पर भाई लड़खड़ाता हुआ स्टूडियो पहुँचा होगा। फिर सारे स्टाफ के सामने न्यूज़रूम में अपनी छाती ठोककर चिल्लाया होगा- ‘आज बुलेटिन तेरा भाई पढ़ेगा!’
ये होती है अपने काम के प्रति निष्ठा। सारे कांग्रेसी चमचे बेचारे राष्ट्रवादी पत्रकार के पीछे पड़ गए हैं। आर्यन की तरह ड्रग्स तो नहीं ली ना दीपक जी ने। आपने यह तो देख लिया कि वे लड़खड़ाती हुई ज़ुबान से विपिन रावत और वीके सिंह में अंतर नहीं कर पाए... अरे यही तो है सच्चा राष्ट्रवाद। देश का सैनिक हो, केंद्रीय मंत्री हो या फिर सीडीएस ही क्यों न हो... माननीय दीपक जी सबको एक नज़र से देखते हैं। और जो उनके माथा पकड़ने का झूठा प्रचार किया जा रहा है वह दरअस्ल सिर झुकाकर शहीदों को नमन किया जा रहा था। आप कांग्रेसी क्या समझेंगे इस भावना को कि सेल्यूट मारने के लिए दीपक जी ने एक नहीं दोनों हाथ अपने माथे तक उठा लिए और इस प्रक्रिया में उन्हें जैसे ही संस्कृति की याद आई उन्होंने दोनों हाथों से सेल्यूट मारते हुए सिर नीचे झुका लिया था। इसे कहते हैं सैनिकों का सम्मान। तुम क्या जानो इस भावना को।
तुम क्या चाहते हो कि इनकी जगह राहुल गांधी से न्यूज़ पढ़वाई जाए। उसे एक वाक्य तो ठीक से बोलना नहीं आता। उसको न्यूज़ स्टूडियो में बैठा दिया तो वो वहाँ भी कुर्ते की जेब फाड़ लेगा। अरे एहसान फरामोशों। अब से पहले ‘ड्रंक न्यूज़ एंकर’ सर्च करने पर गूगल में एक भी भारतीय चेहरा नहीं दिखता था, अब टॉप पर गूगल सर्च में दीपक जी छाए हुए हैं। राष्ट्र का नाम कितना ऊँचा हुआ है। पता-वता कुछ है नहीं; ...चले आए हैं माननीय दीपक जी का मज़ाक़ बनाने वाले।

© चिराग़ जैन

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