शोर बढ़ता है
सम्बन्ध नहीं।
सुकून की खटिया
बुनी जाती है
सहजता की बाण से;
इसमें प्रयास की गाँठें हों
तो मुक्त नहीं हो सकती नींद
चुभन से!
जताना
और बताना
व्यापार में होना चाहिए
व्यवहार में नहीं।
और प्यार में...
...वहाँ तो
आँखें मिलते ही
फिफ्थ गीयर लग जाता है
धड़कनों में!
ओंठ व्यस्त रहते हैं
कँपकँपाने और मुस्कुराने में।
शब्द और आवाज़
केवल शोर हैं
प्यार की बातचीत में।
© चिराग़ जैन
No comments:
Post a Comment