और किसी से बतियाना भी चाहता है
दीवाना है, ज़िंदा है जिसकी खातिर
उसकी खातिर मर जाना भी चाहता है
दिल दे बैठा है जिसके भोलेपन को
उस पगली को समझाना भी चाहता है
मुश्किल है, अंधियारे को रौशन करना
जल जाना तो परवाना भी चाहता है
सूरज रब बन जाता है बरसातों में
हाज़िर भी है, छुप जाना भी चाहता है
✍️ चिराग़ जैन
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