जो कचरे को देख ही नहीं पा रहा है, वह उसे साफ़ कैसे करेगा? यदि कभी उसे सफाई का अभिनय करना भी पड़ा तो वह अनजाने में घर का ज़रूरी सामान कचरे के दाम बेच देगा। क्योंकि जो लोग उसे सामान और कचरे की पहचान करा सकते थे उनकी आवाज़ को तो उसने घरद्रोही कहकर ख़ामोश कर दिया था।
जो मेहमान के आने पर कचरे को कोने में दुबकाने में विश्वास करता है, वह घर भर को बदबू से भरने की तैयारी कर रहा है। दीवार के ऊपर चूना पोत देने से भीतर की दीमक ढक जाती है, मरती नहीं है। घर को दीमक मुक्त करने के लिए दीमक की बांबी तक पहुँचना होगा। लेकिन जो भी इस प्रयास में दीवार को खुरचने चला, उसे आपने घरद्रोही कहकर प्रताड़ित किया। उसके हाथ में जो औज़ार थे, उन्हें हथियार सिद्ध करके आपने उसे घर से बहिष्कृत भी करवा दिया। घर के प्रति उसकी सद्भावना को निर्वसन करके निष्कासित कर दिया।
जिन हाथों में दीमक के उपचार का यंत्र था, वे हाथ अपने चीथड़े सम्भालने में व्यस्त हो गए। उधर दीमक दीवार को खोखला करके बाहर निकलने लगी तो उस शक्तिहीन बहिष्कृत को कोसते हुए आपने दीवार से बाहर निकलते घिनौने बुरादे के आगे कोई शोपीस रख दिया। जब दीमक वह शोपीस भी खाने लगी तो आपने किसी दूसरी दीवार पर घर के किसी पुरखे की तस्वीर टांक दी और घोषित कर दिया कि घर का जो सदस्य इस तस्वीर का सत्कार नहीं करेगा, वह घर द्रोही होगा।
घरवाले पुरखे की तस्वीर पूजने में व्यस्त हो गए और दीपक पुरखों की विरासत को खोखला करती रही। जब तस्वीर भी दीमक के आगोश में समाने लगी तो सबको अलग अलग तस्वीरें थमा दी गईं।
पुरखों के बनाए घर पर दीमक लगी है और हम अपनी अपनी तस्वीरें लेकर इतरा रहे हैं। जिसने यह दीमक देख ली उसकी आँखें मत फोड़ो। जो रोज़ नया शोपीस रखकर आपको एक कमरे से दूसरे कमरे में टहला रहा है, उसके मन का कपट समझने का प्रयास करो, क्योंकि उसने आपके पूरे घर को दीमक का चारा बना डाला है।
✍️ चिराग़ जैन
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