उन्हीं का बयान ले उड़े
पहले तुमको निहत्था बताया
फिर हाथ से कमान ले उड़े
कहने भर को पीएम थे पर बोल न पाए मनमोहन
हाथ हिलाना दूर, होंठ तक खोल न पाए मनमोहन
अपने ही घर में प्रतिभा का मोल न पाए मनमोहन
अपना ऑर्डिनेंस फटने पर डोल न पाए मनमोहन
उनके होंठों पे ताला लगाया
ये पूरा हिन्दुस्तान ले उड़े
जिनको मौनी बाबा कह के चिढ़ाया
उन्हीं का बयान ले उड़े
आंदोलन पर लाठी बरसी, कंघी बेची गंजे को
सीबीआई तोता बन गई ऐसा कसा शिकंजे को
अपनी ही बंदूक की गोली धांय लगी है पंजे को
जाने किस-किस बेचारे की हाय लगी है पंजे को
तुमने सोतों पे डंडा चलाया
ये सपनों की दुकान ले उड़े
जिनको मौनी बाबा कह के चिढ़ाया
उन्हीं का बयान ले उड़े
ऊंचाई का अहम न करते तो झुक जाना ना पड़ता
ठोकर पर संभले होते, घुटनों पर आना ना पड़ता
अपनों से मिलते-जुलते तो मान गंवाना ना पड़ता
दूर-दूर तक जनता के दर चलकर जाना ना पड़ता
अपने हाथों ही अवसर गंवाया
ये सत्ता का गुमान ले उड़े
जिनको मौनी बाबा कह के चिढ़ाया
उन्हीं का बयान ले उड़े
-चिराग़ जैन
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