गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Sunday, January 31, 2016
शिक्षा की रौशनी
पहाड़ की घुमावदार पगडंडी पर स्कूल जा रही हैं छोटी-छोटी बच्चियाँ
...मतलब बचपन में झूठ बोला था विज्ञान के अध्यापक ने कि हमेशा सीधी रेखा में ही यात्रा करती है रौशनी
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