Thursday, August 11, 2016

हर ख़ुशी वनवास में है

कोई तो मंथरा रनिवास में है
अवध की हर ख़ुशी वनवास में है

अवध वालो हृदय को वज्र कर लो
कोई पत्थर छुअन की आस में है

कोई हठ पर अड़ा कोई नियम पर
मगर दशरथ गहन संत्रास में है

विवादों में तो कठिनाई बहुत है
क्या उससे भी अधिक उल्लास में है

दिलों में राम बसते हैं हमारे
मगर रावण हमारी श्वास में है

© चिराग़ जैन

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