Wednesday, September 21, 2016

गर्व से उठे हुए सिर

 जब सैनिकों के सिर काटने जैसा कुकृत्य पाकिस्तान की सेना ने किया था तब मेरे व्यंग्य-बोध ने क्रुद्ध होकर शब्दों में आकार लिया था। निम्न टिप्पणी को अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग अवसर पर अलग अलग तरह से प्रचारित किया। उरी में सुप्त सिपाहियों की बर्बर ह्त्या के बाद एक बार फिर यह धिक्कार वाक्य प्रासंगिक हो गया है-   एक बच्चे ने मुझसे पूछा - "पाकिस्तानी सैनिक हमारे सैनिकों के सिर का क्या करेंगे?" मैंने कहा- "वो अपने यहाँ के लोगों को दिखाएंगे कि गर्व से उठे हुए सिर कैसे होते हैं!"  

© चिराग़ जैन  

No comments:

Post a Comment