Thursday, November 10, 2016

नोटबंदी

8 NOV

एक सप्ताह से काला धुआँ आँखों में जल रहा था, अब नारंगी और हरे नोट आँखों में चुभ रहे हैं।

जितने का पेट्रोल भरवा सकते हो भरवा लो, बाकी में पैट्रोल डाल कर आग लगा दो। 
आदेशानुसार : मोदी उर्फ़ धो दी।

प्रधानमंत्री जी करुणानिधान हैं
वे जानते थे कि दिल के दौरे वाले मरीज़ 100 रूपये के नोट नहीं जुटा पाएंगे इसलिए अस्पतालों में काले नोट स्वीकार्य हैं।

मोदी जी की इमेज उस बच्चे की तरह हो गई है जो अपनी हर अगली शरारत से पिछले काण्ड को छोटा सिद्ध कर देता है।

इस बीच विजय माल्या ने स्टेट बैंक के जीएम से बोला है कि अपना 1700 करोड़ रुपैया लेना हो तो कल कूड़ेदानों में से बीन लेना। फिर मुझे मत बोलना कि पैसा नहीं दिया।

उधर पाकिस्तान में इस बात की खलबली है कि जो आदमी एक झटके में अपने 1000-500 के नोट की वैल्यू दो कौड़ी की कर सकता है वो हमारे दो कौड़ी के देश का क्या करेगा! 


9 NOV

बॉर्डर फ़िल्म का डायलॉग याद आ गया- 
सुबह नाश्ता करते हुए पोलीपैक दूध बैन कर दूंगा।
दोपहर के लंच में इंजन वाले वाहनों पर रोक लगा दूंगा। और रात के खाने मेंमिल में बना कपड़ा बंद कर पूरे देश को पेड़ के पत्ते लिपटवा दूँगा। 

जसोदाबेन ने मोदी जी को फोन करके पूछा है - 1000 और 500 के नोटों ने भी तुमसे शादी कर ली थी क्या? 

कुछ ख़ास बात नहीं है। करेंसी नोट का रंग रूप अमरीका जैसा बनाने के चक्कर में मोदी जी ने कच्चे के व्यापारियों की शक्ल सोमालिया जैसी बना दी। 

अब तो लोग दो दिन की सब्ज़ी भी इकट्ठी नहीं ख़रीद रहे, पता नहीं मोदी जी कब लौकी को ग़ैर कानूनी घोषित कर दें। 

मन की बात कोई सुन नहीं रिया था तो मेरे भाई ने मनी की बात कर दी।

लब्बो-लुआब : हज़ार और पाँच सौ के नोट एक साथ बंद कर दिए जाएं तो दो हज़ार का नोट पैदा हो जाता है।

स्मॉग हटते ही मोदी जी ने दिन में तारे दिखा दिए।

हज़ारीप्रसाद द्विवेदी जी ने काफी माखनलाल चतुर्वेदी जी लगाए लेकिन बनारसी दासने अमीर ख़ुसरो जी को भिखारी ठाकुर बनाने का फैसला वापस नहीं लिया। अब पूराभारतेंदु हरिश्चंद्र इस फ़िराक़ गोरखपुरी में है कि अपने मैथिली शरण गुप्त धनको उजागर करके मन को निर्मल वर्मा कर लें।

बिगड़ी हुई औलाद को सुधारने के लिए जेबख़र्च बंद करने का उपाय हमेशा कारगर होता है।


10 NOV

8 नवंबर को मोदी जी ने जनता बोला - 1000-500 के नोट काग़ज़ के टुकड़े रह जाएंगे।
9 नवम्बर को न्यायालय ने सरकार से पूछा - pollution कण्ट्रोल का मास्टर प्लान बताओ?
मतलब, सब जानते हैं कि नोट जलेंगे से धुआँ होगा ही होगा।

वो कौन सा दार्शनिक था जो कह कर गया था कि पैसा तो सड़कों पर बिखरा पड़ा है, समेटने के लिए हिम्मत चाहिए। निंद्य है।

© चिराग़ जैन

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