Wednesday, February 21, 2018

पूरी राजनीति हो गई मवाली

पूरी राजनीति हो गई मवाली, 
सभी के सब जाली 
हैं होली के रंग रसिया 
एक-दूसरे को मार मार ताली, 
सुनावें रोज़ गाली 
ये ठीक नहीं ढंग रसिया 

अभी चाय का शोर थमा था, तभी पकौड़ा आ पहुंचा 
देसी गदहे नहीं चले तो, अरबी घोड़ा आ पहुंचा 
नरसिम्हा से मुक्त हुए तो देवेगौड़ा आ पहुंचा 
पहला पकड़ा नहीं गया था, नया भगौड़ा आ पहुंचा 
जाने कैसी करी रे रखवाली, 
थमा के उन्हें ताली 
क्यों छान रहे भंग रसिया 

पहले हमसे वोट, अनोखे स्वप्न दिखाकर छुड़वा ली 
कांग्रेस की करतूतों का राग सुनाकर छुड़वा ली 
भारत में रहकर दी राहत, बाहर जाकर छुड़वा ली 
सब्सिडी भी ऊँची-ऊँची बात बनाकर छुड़वा ली 
करी डीजल की टंकी भी खाली, 
चिढ़ाने लगी थाली 
ज़माना हुआ तंग रसिया 

हाथ बांधकर घर बैठे हैं लालकृष्ण आडवाणी जी 
अच्छे अच्छे मांग गए थे जिनके आगे पानी जी 
बंद कर दिए नोट अचानक खूब करी मनमानी जी 
सबको समझा दिया मिनिट में माया आनी जानी जी 
सबने सड़कों पे लाइनें लगा ली, 
मशीनें नोटों वाली 
महीनों रहीं दंग रसिया 

मंगलयान गया तो उसका पूरा क्रेडिट ले भागे 
बुलेट ट्रेन को कर्जा लेने तुम दौड़े आगे-आगे 
जिसने तुम पर प्रश्न उठाया उस पर ही गोले दागे 
न्याय मीडिया तक आ पहुंचा बस उस रोज़ नहीं जागे 
बेच खाई विरोधियों की गाली, 
बिगड़ती संभाली 
तू पूरा मलंग रसिया 

सुखरामों की किस्मत खुल गई, मुफ़्ती से इंसाफ हुआ 
नीतिश बाबू से झगड़े का ऊँचा पर्वत हाफ हुआ 
अच्छा-बुरा चरित्र धुल गया, नीति-नियम का लाफ़ हुआ 
जिसने बीजेपी जॉइन की उसका दामन साफ हुआ 
आधी कांग्रेस खुद में मिला ली, 
ये चाय वाली प्याली 
हुई है बदरंग रसिया 

योगी ने भगवा रंग डाला बाकी रंग निचोड़ दिया 
अमित शाह ने हर प्रदेश में बीजेपी बम फोड़ दिया 
नोट बंद कर जीएसटी से सब व्यापार झिंझोड़ दिया 
जनता की पॉकेट पे तुमने अरुण जेटली छोड़ दिया 
हाय कैसी ये चौकड़ी बना ली, 
हुए हैं सब ठाली 
मचाया हुड़दंग रसिया 

© चिराग़ जैन

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