अभी गुलाबी रंगत वाले फूल नहीं मुरझाए होंगे
अभी मेज से तुमने मेरे तोहफे नहीं हटाए होंगे
अभी फोन में मेरा नम्बर उसी नाम से दर्ज मिलेगा
अभी गैलरी में केवल मेरे फोटो का सर्च मिलेगा
तुम तक मेरा प्यार न पहुँचे, तुम ऐसी परवाज न होना
इतनी भी नाराज न होना
प्यार भरे पल याद आएं तो अनबन को सुलझा ही लेना
बार-बार मैं फोन करूँ तो मन ही मन मुस्का ही लेना
पीछे पड़ जाने की मेरी आदत से तो वाकिफ हो ही
दाँत पीसकर, झुंझलाकर तुम मेरा फोन उठा ही लेना
समय बिताने भर को विंडो शॉपिंग की मोहताज न होना
इतनी भी नाराज न होना
कोई फिल्मी गीत बजेगा तो मेरी याद आ जाएगी
जब फूलों पर नूर सजेगा तो मेरी याद आ जाएगी
जिस खिड़की पर बैठे हम-तुम घंटों बतियाते रहते थे
जब उस पर सावन बरसेगा तो मेरी याद आ जाएगी
मुझे भूल जाने की कोशिश में अपना सुख साज न खोना
इतनी भी नाराज न होना
मीठे मीठे झगड़ों को सबकी चर्चा तक मत ले जाना
किसी सहेली को अपने मन की ये बातें मत बतलाना
भीगी पलकों से जो कंधा ढूंढोगी वो धुंधला होगा
अनबन कड़वाहट बन जाए इतने आँसू नहीं बहाना
जिद के कारण प्यार भुला दो, ऐसा कठिन रिवाज न होना
इतनी भी नाराज न होना
फिर भी यदि नाराज रहो तो थोड़ी रस्म निभाती रहना
अगर अकेली बैठी हो तो झूठा फोन मिलाती रहना
कॉलेज की कैंटीन हमारे झगड़े को पब्लिक ना कर दे
मेरे खाते में चढ़वाकर कभी-कभी कुछ खाती रहना
मुझे देखकर खुश हो जाने का अपना अंदाज न खोना
इतनी भी नाराज न होना
© चिराग़ जैन
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