सपनों का विस्तार रहेंगे
आँसू की मनुहार रहेंगे
युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे
जिन शब्दों से कर्ज़ा लेकर, भावों की झोली भरता था
रोते-रोते जिस पीड़ा के माथे पर रोली धरता था
उस पीड़ा का सार रहेंगे
भाषा का श्रृंगार रहेंगे
शब्दों की नश्वर काया में, प्राणों का संचार रहेंगे
युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे
बातों में घुल-मिल जाएंगे, चैपालों की रंगत होंगे
एकाकी राहों पर चलते मौन पथिक की संगत होंगे
चिट्ठी का आधार रहेंगे
उत्सव का गलहार रहेंगे
माँ की मीठी लोरी होंगे, बाबा की फटकार रहेंगे
युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे
घोर उदासी की सेना से जब अभिलाषा का रण होगा
मेरा गान प्रबल सहयोगी आशाओं का उस क्षण होगा
कोशिश पर बलिहार रहेंगे
और थकन पर वार रहेंगे
नफ़रत से तपती धरती पर, प्यार भरी रसधार रहेंगे
युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे
© चिराग़ जैन
(श्री गोपालदास नीरज जी के निधन पर)
आँसू की मनुहार रहेंगे
युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे
जिन शब्दों से कर्ज़ा लेकर, भावों की झोली भरता था
रोते-रोते जिस पीड़ा के माथे पर रोली धरता था
उस पीड़ा का सार रहेंगे
भाषा का श्रृंगार रहेंगे
शब्दों की नश्वर काया में, प्राणों का संचार रहेंगे
युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे
बातों में घुल-मिल जाएंगे, चैपालों की रंगत होंगे
एकाकी राहों पर चलते मौन पथिक की संगत होंगे
चिट्ठी का आधार रहेंगे
उत्सव का गलहार रहेंगे
माँ की मीठी लोरी होंगे, बाबा की फटकार रहेंगे
युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे
घोर उदासी की सेना से जब अभिलाषा का रण होगा
मेरा गान प्रबल सहयोगी आशाओं का उस क्षण होगा
कोशिश पर बलिहार रहेंगे
और थकन पर वार रहेंगे
नफ़रत से तपती धरती पर, प्यार भरी रसधार रहेंगे
युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे
© चिराग़ जैन
(श्री गोपालदास नीरज जी के निधन पर)
No comments:
Post a Comment