Sunday, July 29, 2018

नीरज जी का प्रयाण उत्सव

हिंदी भवन में नीरज जी का प्रयाण उत्सव मृत्यु के महोत्सव की मिसाल बन गया। जीवन भर जिजीविषा के आधार पर उत्सव जीनेवाले महाकवि को विदा करने आए लोगों की आँखें नहीं, मन भीग गया। नीरज जी का खिलखिलाता हुआ चेहरा हिंदी भवन सभागार में सुसज्जित भव्य मंच को आलोकित कर रहा था। दाहिनी ओर स्टूल पर उनका एक अन्य चित्र स्थापित था, जिसे गुलदावरी के फूलों की माला से सजाया गया था। ग़ुलाब की पंखुरियाँ गीत के शिखर पुरुष को श्रद्धांजलि देने के लिए उपस्थित थीं। उत्सव ही था, ...ख़ालिस कवि का ख़ालिस उत्सव! कार्यक्रम प्रारम्भ से पूर्व सभागार एक भारी आवाज़ के रेकॉर्ड से महक रहा था। साउंड मैनेजर ने नीरज जी की आवाज़ में उनके गीतों की सीडी प्ले की हुई थी। सवा पाँच बजे श्री सुरेन्द्र शर्मा जी ने मंच संभाला। दर्शक-दीर्घा ने तालियों के साथ प्रयाण के इस महोत्सव का उद्घाटन किया। डॉ अशोक चक्रधर ने नीरज जी के काव्य पर बोलते हुए उनके व्यक्तित्व को भी अपने अंदाज़ में बयान किया। इसके बाद अगले दो घंटे ऊर्जा की वृष्टि के थे। श्री विनोद राजयोगी, डॉ प्रवीण शुक्ल, श्री गजेंद्र सोलंकी, सुश्री मनीषा शुक्ला, श्री ज्ञानप्रकाश आकुल, चिराग़ जैन और शशांक प्रभाकर ने नीरज के इस अवसान पर लिखी गईं अपनी कविताओं से काव्यांजलि प्रस्तुत की। श्री पवन दीक्षित, डॉ सीता सागर और डॉ विष्णु सक्सेना ने अपने स्वर में नीरज की रचनाओं का पाठ कर स्वरांजलि दी।
पवन दीक्षित जी ने उसी ख़रज भरी आवाज़ में उसी विलम्बित स्वर में नीरज जी के अशआर पढ़े तो कौतूहल, श्रद्धा, आश्चर्य तथा प्रसन्नता के सम्मिश्रण से सभागार भर गया। डॉ गोविंद व्यास, श्री रामनिवास जाजू और श्री मनोहर मनोज जी ने अपने संस्मरणों से नीरज जी के जीवन की चेतना और जीवंतता को प्रकाशित किया। कार्यक्रम सम्पन्न होने पर पूरे सदन ने नीरज के शानदार जीवन को स्टैंडिंग ओवेशन दिया और नीरज जी के सम्मान में तालियों के पहाड़ खड़ा कर दिया।
तभी पार्श्व में किशोर कुमार की आवाज़ में नीरज जी खनखना उठे- ‘शोखि़यों में घोला जाए फूलों का शबाब....’ फिर तो बिना किसी पूर्वयोजना के अग्रिम पंक्ति में खड़े कवि थिरकने लगे। ताल के साथ तालियाँ बज रही थीं, प्रत्येक कंठ किशोर के स्वर से ऊँचा जाकर अपने महाकवि के गीत याद होने का दम्भ भर रहा था, पैर बिना पूछे ताल की संगत कर रहे थे। अरुण जैमिनी, सपन भट्टाचार्य, विष्णु सक्सेना, सुरेन्द्र शर्मा, गुणवीर राणा, महेंद्र शर्मा, सत्यदेव हरयाणवी, गजेंद्र सोलंकी, प्रवीण शुक्ला, नन्दिनी श्रीवास्तव, सीता सागर, वेदप्रकाश वेद, विनय विश्वास, ऋतु गोयल, मनीषा शुक्ला, महेंद्र अजनबी, सुरेन्द्र सार्थक, पी के आज़ाद, शम्भू शिखर, पद्मिनी शर्मा, यूसुफ़ भारद्वाज, शालिनी सरगम, मुमताज़ नसीम, संदीप शजर, जैनेन्द्र कर्दम, चिराग़ जैन, ज्ञानप्रकाश आकुल, पवन दीक्षित, अरुणा मुकीम, विभा बिष्ट, शुभि सक्सेना, अनिल गोयल, सुदीप भोला, दीपक सैनी, रेखा व्यास, रामनिवास जाजू, प्रदीप जैन और न जाने कितने सितारे अपने सूर्य के ध्रुवतारा बन जाने का उत्सव मना रहे थे। ....फिर सेल्फी सेशन .....फिर चायपान ....और फिर अपने अपने भीतर नीरज की अनुगूंज सहेजे सब सभागार से विदा हो गए। सुनते हैं रात भर सभागार के वायुमंडल में एक तराना तैरता रहा - ख़ाली-ख़ाली कुर्सियाँ हैं ख़ाली-ख़ाली तम्बू है ख़ाली-ख़ाली घेरा है बिना चिड़िया का बसेरा है...!

No comments:

Post a Comment