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Sunday, January 6, 2019
एक क़लम ऐसी
इस महफ़िल में चुपचुप बैठी एक क़लम ऐसी है जिसने ग़ालिब से ग़ज़लें सीखी हैं, तुलसी से चैपाई ली है अम्बर के उद्दीप्त सितारो, उसको किरणों से दुलराना जिसने कविता के उपवन में अभी-अभी अंगड़ाई ली है
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