Sunday, June 16, 2019

याचक और साधक

कहीं मन्नत के धागे बांध कर आने नहीं पड़ते
किसी लालच से अपने तीर्थ फुसलाने नहीं पड़ते
हमारे देव बिन मांगे ही देते हैं हमें सब कुछ
हमें कुछ मांगने को हाथ फैलाने नहीं पड़ते

✍️ चिराग़ जैन

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