Wednesday, June 19, 2019

वही बात फिर...

किसी ख़्वाब को आज छू कर के देखें
अमां अब कोई आरज़ू कर के देखें

जिस इक बात पर हमसफ़र बन गए हम
वही बात फिर हू-ब-हू कर के देखें

ख़मोशी की राहें जुदा कर रही हैं
घड़ी दो घड़ी गुफ़्तगू कर के देखें

जहाँ से मरासिम फ़ना हो गया था
वहीं इक दफ़ा फिर शुरू करके देखें

कोई ज़ख़्म दिल को दुखाने लगा है
चलो आँसुओं से वजू कर के देखें

तकल्लुफ़ हटेगा, क़रीबी बढ़ेगी
जहाँ आप था, उसको तू करके देखें

© चिराग़ जैन

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