10वीं भारतीय छात्र संसद का मंच-संचालन करके आज चार दिन बाद घर लौटा हूँ। 20 फरवरी को सुबह 9ः00 बजे से आज दोपहर 3ः30 बजे तक राजधानी के विज्ञान भवन में देश-विदेश के लगभग 2000 छात्रों ने भारतीय राजनीति की दशा और दिशा पर विस्तृत चर्चा की।
देश की विविध समस्याओं पर चिंतन करने के लिए इस छात्र-संसद में जिन महानुभावों ने अपना समय दिया उनमें भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ प्रणव मुखर्जी, भारत के उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू, केरल के राज्यपाल श्री आरिफ़ मोहम्मद ख़ान, उड़ीसा के विधानसभा अध्यक्ष श्री सुरज्या नारायण पात्रो, राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष श्री सी पी जोशी, गोवा के विधानसभा अध्यक्ष श्री राजेश पाटनकर, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, केंद्रीय मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय मंत्री श्री मुख़्तार अब्बास नक़वी, केंद्रीय मंत्री श्री किरण रिजिजू, राज्यमंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत सिंह चौटाला, केरल के शिक्षामंत्री श्री के टी जलील, भूतपूर्व गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल, भूतपूर्व विदेश मंत्री श्री कुँवर नटवर सिंह, श्री सुधांशु त्रिवेदी, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, श्री राम माधव, श्री रणदीप सुरजेवाला, श्री सीताराम येचुरी, श्री श्री रविशंकर (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग), बाबा रामदेव (वीडियो कांफ्रेंसिंग), श्री सदगुरू महाराज (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग), सैयद कल्बे रुशैद रिज़्वी, आचार्य लोकेश मुनि, राजयोगिनी बी के शिवानी, श्रीमती शोभना भारतीय, श्री कैलाश सत्यार्थी, अनेक विश्वविद्यालयों के उपकुलपति, अनेक विधायक और विविध क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तित्व सम्मिलित थे।
भारत की जनसंख्या से लेकर भुखमरी तक की अनेक समस्याओं पर चर्चा हुई और भारत के सुखद भविष्य के लिए अनिवार्य कार्यों पर भी विमर्श हुआ। छात्रों ने राजनीति के दिग्गजों से सीधे प्रश्न पूछे और जनप्रतिनिधियों ने प्रत्येक प्रश्न का बेबाक़ उत्तर दिया।
इन चार दिनों में भारत की युवाशक्ति को देश की चिंता करते देखकर, कई बार एहसास हुआ कि जिस देश का युवा जेब से पैसा ख़र्च करके, अपनी यात्रा और प्रवास की व्यवस्था स्वयं जुटाकर देश के लिए चिंतन करने चार दिन तक सुबह से शाम तक पूरा समय दे सकता है उस देश के भविष्य को किसी भी तरह का कोई ख़तरा नहीं है।
इतने बड़े मंच का संचालन निश्चित रूप से मेरे लिए गौरव का विषय था किंतु इन चार दिनों में संचालन के दौरान जो कुछ मेरे मुँह से निकला, वह सब छात्रों ने अपनी डायरी में दर्ज कर लिया। अनेक छात्रों ने अल्पाहार के समय अथवा सत्र-अंतराल में मेरे ही जुमले मुझे सुनाए तो विश्वास हुआ कि मिनिट भर के संचालन के जुमले भी जिन छात्रों को कंठस्थ हो गए, वे इन चार दिनों में कितना कुछ बटोर कर ले जा रहे होंगे।
मैं इस उपक्रम के स्वप्नदृष्टा श्री राहुल विश्वनाथ कराड को इस आयोजन के लिए साधुवाद देता हूँ और अपनी आश्वस्ति दर्ज कराता हूँ कि भारतीय राजनीति के भविष्य की तस्वीर में इस विशेष आयोजन के कुछ रंग अवश्य दिखाई देंगे।
© चिराग़ जैन
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