Friday, February 7, 2020

मतदान क्यों ज़रूरी है

राजनीति किसी भी दल की हो, उसकी बदतमीज़ी जनता की निष्क्रियता के बल पर ढिठाई बनने लगती है। भारतीय लोकतंत्र के वर्तमान स्वरूप में ‘मतदान’ ही एकमात्र अस्त्र है जो जनता के पास है। शेष तंत्र से हताश होकर इस अस्त्र को भी नष्ट कर देना, भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देने जैसा है।
जिस क्षेत्र की जनता पूर्ण मतदान कर देगी, उसकी अभिरुचियों और आकांक्षाओं को अनदेखा करना किसी भी दल के लिए असंभव होगा। मध्यमवर्ग की ज़रूरतें किसी भी राजनैतिक दल की वरीयता सूची में इसी कारण नहीं शामिल हो पातीं क्योंकि मध्यमवर्गीय नागरिक मतदान प्रक्रिया से सर्वाधिक उदासीन हैं। राजनीति हमें लोकतंत्र से बाहर करना चाहती है, ताकि अपने कैडर और कार्यकर्ताओं के वोट से ही विधानसभाओं और संसद की सूरत तैयार हो सके। आम मतदाता यदि वोटिंग की प्रक्रिया से न जुड़ा तो उसकी ओर किसी का ध्यान न जाएगा।
इस देश में, आयकर देनेवालों से किसी सरकार को कोई फ़र्क नहीं पड़ता, इसीलिए बजट बनाते समय आयकर देनेवालों को ही घोड़े से खच्चर बनाया जाता है। इस देश में नियमों का पालन करनेवाले भी सरकार के किसी काम के नहीं हैं, इसीलिए पूरी न्याय व्यवस्था अपराधियों के बचाव में जुट जाती है और पीड़ित को सिद्ध करना पड़ता है कि उसके साथ अपराध हुआ है।
लेकिन इस देश में वोट देनेवाले से हर सरकार को फ़र्क़ पड़ता है, इसीलिए झुग्गियों की पीड़ा हर पार्टी सुन पाती है और हाउस टैक्स भरनेवाला बेचारा दफ़्तरों के चक्कर लगा-लगाकर टूट लेता है; इसीलिए अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया जाता है और बिल्डरों को पूरी क़ीमत चुकानेवाला नागरिक किराये के मकान में रहकर, अदालतों के चक्कर काट रहा है। वोट को अनावश्यक समझोगे तो राजनीति के लिए अनावश्यक हो जाओगे। इस देश के लिए न सही, लोकतंत्र के लिए न सही; अपने अस्तित्व के लिए ही सही, वोट ज़रूर डालें।
इससे पहले कि लोकतंत्र फीका हो जाए, अपनी उंगली पर नीला निशान लगवा आओ।

-चिराग़ जैन

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