हमें इन दो में से एक का चुनाव करना है। इनसे इनकी खामियों पर प्रश्न करो तो ये कांग्रेस की कमियाँ गिनाने लगते हैं। और कांग्रेस से उसकी गलतियों पर सवाल पूछो तो वे भाजपा के अपराधों की सूची थमा देती है।
जो भाजपा जीवन भर महबूबा मुफ्ती को ग़द्दार साबित करने पर तुली रही, वही कश्मीर में सत्ता के लिए उसी महबूबा मुफ्ती से गठबंधन कर लेती है। उधर, जैन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में DMK के कुछ नेताओं का नाम आने पर कांग्रेस गुजराल सरकार पर दबाव बनाती है कि वह DMK को सरकार से बाहर करे। इंद्रकुमार गुजराल कांग्रेस की यह शर्त नहीं मान पाते तो कांग्रेस उनकी सरकार गिरा देती है। बाद में यही कांग्रेस उसी DMK के साथ गठबंधन कर लेती है।
बचपन से हम एक नेता का किस्सा सुनते आए हैं कि उसने किस तरह बुलडोजर चलाकर तुर्कमान गेट का इलाक़ा ख़ाली करा लिया था। उस सनक में यह तक नहीं विचारा गया कि रातोंरात बेघर हुए इतने लोग कहाँ पनाह लेंगे! अब यही बुलडोजर उत्तर प्रदेश में किसी और का डंका पीटने निकल चला है।
कांग्रेस ने एशियाड और कॉमनवेल्थ खेलों में पानी की तरह पैसा बहाया। भाजपा के हिस्से G20 सम्मेलन आया तो इन्होंने भी सारी कसर निकाल ली।
इंदिरा सरकार में सत्ता की आलोचना अपराध था। सरकार का विरोध करना जेल की यात्रा को निमंत्रण था। वर्तमान सरकार में सत्ता से कुछ पूछ लो तो पूरा सिस्टम और पूरी ट्रोल आर्मी आपके पीछे पड़ जाती है। केंद्रीय मंत्री पत्रकार को सर-ए-आम धमकी देती हैं कि मैं आपके मालिक से बात करूंगी।
रामदेव और अन्ना हज़ारे 'जन आंदोलन' करने लगे तो कांग्रेस सरकार ने बल प्रयोग किया। गांधी के देश मे सत्याग्रही को जेल में ठूस दिया गया। अब आदर्श अनुगामी की तरह किसान आंदोलन और पहलवान आंदोलन पर बल प्रयोग करने में सरकार बिल्कुल नहीं हिचकिचाई।
भाजपा ने अपनी ट्रोल आर्मी को अभयदान दे रखा है कि गांधी, नेहरू पर जितनी कीचड़ उछाल सकते हो, उछालो। इधर कांग्रेस ने भी सावरकर के अपमान पर यही नीति अपनाई हुई है।
कांग्रेस ने इंदिरा जी की हत्या के बाद हुई हिंसा को जस्टीफाई करने में शर्म नहीं की। इधर भाजपा ने भी गोधरा के वीभत्स हत्याकांड के बाद हुई हिंसा को बेशर्मी से जस्टीफाई किया।
कांग्रेस जब तक शासन में रही उसने 84 के नामजद आरोपियों को न केवल जेल की सलाखों से बचाए रखा, बल्कि उन्हें सत्ता का सुख देकर पुरस्कृत भी किया। 2002 के नामजद आरोपियों के साथ भाजपा भी ठीक यही कर रही है।
कांग्रेस ने के कामराज और पी वी नरसिम्हा राव के साथ जो व्यवहार किया, भाजपा ने वही व्यवहार लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ किया।
भाजपा को पानी पी पीकर कोसनेवाले कपिल मिश्रा आज भाजपा में माननीय हैं। उधर कांग्रेस में रहकर भाजपा से रोज़ ग़द्दारी का सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले सिंधिया और गुलाम नबी आज़ाद, आज कांग्रेस को भ्रष्टाचारी बताते फिरते हैं।
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आनेवाले नेता कांग्रेसियों को ईमानदार लगते हैं और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले नेता भाजपाईयों को देशभक्त लगते हैं।
ऐसे और भी हज़ारों उदाहरण मिल जाएंगे। सत्ता की ओर दौड़नेवाले तभी तक सिद्धांतों की दुहाई देते हैं, जब तक वह सिद्धांत उनका पथ अवरुद्ध न करे। जनता इनसे भागकर उधर जाती है तो वे घाव पर मरहम लगाने के बहाने चिकोटी काटने लगते हैं। उनकी चिकोटी से त्रस्त होकर इधर आती है तो ये घाव सहलाने के बहाने छेड़खानी करने लगते हैं।
नागरिकों को विवेकयुक्त होकर आचरण करना होगा। सभी राजनैतिक दल सत्ता की रस्साकशी में व्यस्त है, प्रशासन शासन की उँगलियों पर कठपुतली की तरह ठुमक रहा है, न्यायपालिका शासन और प्रशासन की इच्छाशक्ति के अभाव में जर्जर हुई जा रही है और पत्रकारिता तलवार से यशगान लिखकर दिन काट रही है। ऐसे में अपने देश को बचाने की ज़िम्मेदारी नागरिकों के कंधों पर है l
हम जो कर सकते हैं, वह अभी इसी वक़्त से प्रारंभ करें। जहाँ तक सम्भव हो नियमों का पालन करें। धर्म-संप्रदाय और जातियों पर चर्चा न करें। शिक्षा, सफाई और रोज़गार पर ध्यान केंद्रित करें। अपने-अपने परिवार को सामाजिक विद्वेष के सोशल मीडिया प्रचार से बचाए रखें।
इन सब कार्यों को करने में जहाँ सिस्टम का भ्रष्टाचार अवरोधक बने, वहाँ स्वयं को गांधी बनाकर धैर्य और अहिंसा का मार्ग अपनाएं। जहाँ सत्ता तुम्हें विवशता के दोराहे पर खड़ा कर दे वहाँ सावरकर बनकर अपनी जान बचा लो, क्योंकि आप बचे रहे तो ही कुछ कर सकोगे। देश को गांधी और सावरकर ही नहीं; राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर और अम्बेडकर भी चाहिएं। पढ़ो ताकि आपको बरगलाया न जा सके! समझो, ताकि आपको डराया न जा सके।
✍️ चिराग़ जैन
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