Sunday, January 28, 2018

इनबाॅक्स के शुभचिंतक

मेरे हितचिंतको!
रोज़ सुबह जब मैं मोबाइल उठाता हूँ तो मेरा व्हाट्सएप्प आपके संदेशों से लदा हुआ होता है। मेरे निरुत्तर रहने के बावजूद आप ‘मा फलेषु कदाचन’ का अनुगमन करते हुए बिना मतलब की ‘गुड मॉर्निंग’ भेजना नहीं भूलते। मेरे शुभाकांक्षियो, आपके द्वारा भेजे जा रहे लाल-पीले फूलों को गूगल पर देख-देखकर मैं ऊब चुका हूँ। और उसके नीचे जो टेढ़े-मेढ़े अक्षरों में ‘गुड मॉर्निंग’ या ‘गुड नाईट’ लिखकर आप इतराते हैं वह सब इतना बासी हो गया है कि अब उन फूलों से सड़ांध उठने लगी है।
आपकी निष्ठा देखकर मन गंधाने लगता है कि आपके पास जैसे ही कोई कूड़ा-करकट टाइप का फॉरवर्डेड मैसेज आता है आप तुरंत ‘सर्वकार्य त्यक्तेन’ उसे मेरे व्हाट्सएप्प पर दे मारते हैं। तिल के तेल से लेकर अदरक, मेथी, गाजर, लहसुन और लौंग तक के इतने लाभ आप मुझे बता चुके हैं कि अब इन सबको एक साथ खाकर मर जाने का जी करने लगा है।
आपका सूचना तंत्र इतना प्रबल है कि दिल्ली पुलिस से लेकर रॉ तक को जैसे ही किसी संदिग्ध फोन नंबर की ख़बर मिलती है तो वो तुरंत आपको बताते हैं और आप मेरे प्रति अपने अनुराग का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मुझे फॉरवर्ड कर देते हैं। पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद हो अथवा मिलावटखोरों की नई साज़िशें; आपके इनबॉक्स में हाज़िरी लगाए बिना पत्ता तक नहीं हिल पाता। और आप इन पत्तों से उत्पन्न आंधियों को मेरे व्हाट्सएप्प पर भेजकर मोक्ष पा लेते हैं।
वैष्णोदेवी के भवन से चला हुआ संदेश हो या अजमेर शरीफ के जिन्नात का हुक्म; हिन्दू धर्म पर मंडरा रहा ख़तरा हो या इस्लाम के खि़लाफ़ चल रही साज़िशें, अमरीका की गुप्तनीति हो या नासा की फ्यूचर प्लैनिंग ...सब कुछ सलीके से आपके व्हाट्सएप्प पर मत्था टेकने आता है और आप उसे मेरे मोबाइल पर फेंक देते हैं।
इतिहास के ऐसे-ऐसे तथ्य आप निकालकर लाते हैं कि अकबर से लेकर चंद्रगुप्त तक सबकी आँखे फट जाती हैं। खुशियाँ मनाने का कोई अवसर चूक न जाए इस उद्देश्य से आप दीपावली, होली, गणतंत्र दिवस, ईद, रमज़ान, गुरूपरब, स्वतंत्रता दिवस, वेलेंटाइन डे, नववर्ष, क्रिसमस, गुडी पड़वा, ओणम, पोंगल, आखा तीज, नरक चतुर्थी, सोमवती मावस, अहोई अष्टमी, करवा चौथ और यहाँ तक कि जलिकुट्टी की भी शुभकामनाएँ भेजने से पीछे नहीं रहते।
आप मुझे इतना प्यार करते हैं कि अपनी हर उपलब्धि मुझसे शेयर करना चाहते हैं। चूँकि मेरे बिना आपका हर त्योहार अधूरा है इसलिए आप न्यूनतम व्यवहार को भी अनदेखा करके अपने, अपनी पत्नी के, अपने बच्चों के, अपने रिश्तेदारों के और अपने दोस्तों के भी चित्र मेरे इनबॉक्स में चिपकाकर मुझसे जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगाँठ की शुभकामनाओं की अपेक्षा करते हैं। आपके पड़ोस में भी कोई मर जाए तो उसकी उठावनी की सूचना मुझ तक अवश्य आती है कि न जाने कब मेरा उस अज्ञात दिवंगत के प्रति मोह जाग जाए।
आपके घर में नई गाड़ी आती है और मेरे इनबॉक्स में उसका चित्र टांग दिया जाता है। आप फ़िल्म देखकर आते हैं और सज़ा मेरे इनबॉक्स को मिलती है। आपका कहीं सम्मान होता है और आप मेरे इनबॉक्स में पहुँचकर प्रशंसा की अपेक्षा करने लगते हैं। आप किसी सेलिब्रिटी के साथ फोटो खिंचवाते हैं और मेरे इनबॉक्स में पिंग हो जाता है। आप खिचड़ी खाने का निर्णय लेते हैं और खिचड़ी के लाभ का रायता मेरे इनबॉक्स में बिखर जाता है। आप सब्ज़ी खरीदते हुए सेल्फी खींचते हैं और मेरे इनबॉक्स में सब्जी मंडी लगा दी जाती है।
आपके इतने अधिक अपनत्व के कारण मुझे व्हाट्सएप्प से डर लगने लगा है। आपकी निरंतरता और अनर्गल सक्रियता के कारण मैं व्हाट्सएप्प पर आनेवाले आवश्यक संदेशों की भी अनदेखी करने लगा हूँ।
मैं अपने प्रति आपकी इस चिंता से अनुग्रहित हूँ और आपको दोनों हाथ जोड़कर यह बता देना चाहता हूँ कि आप जिन बासी चुटकुलों को ‘मार्केट में नया है’ के टैग के साथ पेलते हैं उन्हें सुनकर मुझें पाँचवी कक्षा में भी हँसी नहीं आती थी। मैं आपको यह भी सूचित करना चाहता हूँ कि मेरा हास्यबोध और संवेदना बोध श्रेष्ठ साहित्य से सिक्त होकर काफी आगे बढ़ चुका है और आपके बेमतलब फॉरवर्डेड संदेश उस स्तर तक नहीं पहुँच पाते। आपके गुड मॉर्निंग मेसेज को डिलीट करने में जो समय नष्ट होता है उसका सदुपयोग करूँ तो मैं कुछ सृजन कर लूंगा।
आपकी प्रशंसा लोलुपता मुझे व्हाट्सएप्प से आपको ब्लॉक करने के लिए प्रेरित करती है किन्तु संचार माध्यमों के महत्व को समझते हुए मैं ऐसा नहीं कर पाता। संचार के माध्यम सूचनाओं के सम्प्रेषण हेतु आविष्कृत हुए थे किंतु आपकी कचरा उंडेल प्रतियोगिता ने इन्हें सिर का दर्द बना दिया है। यदि आप इस माध्यम का उपयोग सूचनाओं एवं सृजन के प्रसारार्थ करें तो आपका सम्मान भी बना रहेगा और इन माध्यमों की उपयोगिता भी। फॉरवर्ड करने की हड़बड़ी में आप न जाने कितने ही अपवाद, विवाद और अफ़वाह प्रचारित करने लगते हैं।
इनबॉक्स प्रत्येक व्यक्ति का निजी अधिकार क्षेत्र है। उसमें घुसकर ज़बरदस्ती अपनी मूर्खताएँ पढ़ने-देखने-सुनने को विवश करना आपका अपमान बढ़ाता है। फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे कई कूड़ेघर हैं जहाँ आप कुछ भी डालकर अपनी भड़ास निकाल सकते हैं।
चाकू का आविष्कार तरकारी बिनारने के लिए ही किया जाए तो बेहतर है। यदि आप उससे हत्या करने लगें तो इससे चाकू की साख भी ख़तरे में पड़ेगी और आपका चरित्र भी। आशा है आज के बाद आप या तो मुझे अपनी बेमतलब ब्रॉडकास्टिंग सूचियों से हटा देंगे अथवा मेरा नम्बर ब्लॉक कर देंगे ...दोनों ही स्थितियों में आपका आभारी रहूंगा।

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