चश्मे-तर की सुर्ख़ियां अख़बार से मत पूछिए
आदमी होकर सियासत में दख़ल मुम्किन नहीं
आदमीयत का पता सरकार से मत पूछिए
दुश्मनी ही कर रहे हो तो ज़रा तल्ख़ी रखो
सच बता दूँगा मैं सब कुछ, प्यार से मत पूछिए
शुक्र है आवाज़ से महरूम होती है दुआ
किस क़दर ऊबा है घर, बीमार से; मत पूछिए
© चिराग़ जैन
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