कटपीस हो के चिन्दी चिन्दी पे फँसा दिया
कभी तो किसी ने आलू-सोने से बिगाड़ा खेल
कभी नारियल कभी भिंडी पे फँसा दिया
कभी चायवाला कहा और कप धोने पड़े
निंदा पे फँसाया कभी निंदी पे फँसा दिया
पहले ही बोलती थी बन्द कांग्रेसियों की
और अब वाइको ने हिंदी पे फँसा दिया
कभी तो किसी ने आलू-सोने से बिगाड़ा खेल
कभी नारियल कभी भिंडी पे फँसा दिया
कभी चायवाला कहा और कप धोने पड़े
निंदा पे फँसाया कभी निंदी पे फँसा दिया
पहले ही बोलती थी बन्द कांग्रेसियों की
और अब वाइको ने हिंदी पे फँसा दिया
© चिराग़ जैन
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