Wednesday, August 5, 2020

अयोध्या

शोभ रही नगरी सरयू तट खोज रहे उपमा तुलसी
नील सरोवर में दमके जिस भाँति कली इक रातुल-सी
मानस-मानस राम बिराजत, आंगन-आंगन माँ तुलसी
या नगरी वरनैं न थके, क्या तो आदिकवि अरु क्या तुलसी

© चिराग़ जैन

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