स्कूटर के पीछे सधकर बैठी अधेड़ महिला बचाती जा रही थी स्वयम् को ट्रैफिक जाम में फँसे अपने पति की बेफिक्री से। रह-रहकर आशंका और भय से भरी आँखें मुस्कुरा कर क्षमायाचना कर लेती थी गाड़ी वालों से . ताकि उनकी झल्लाहट . पहुँचने न पाए . उसके पति तक। आख़िरकार मेरी गाड़ी के किनारे से टकरा ही गया उसका पाँव। ...ज़ोर से लगी होगी उसे लेकिन उसने एक पल भी नहीं देखा अपने पैरों की ओर बल्कि झटाक से दोनों हाथ जोड़कर मुझे देखा फिर कसकर पकड़ ली स्कूटर की स्टॅपनी! ....और पति महाशय ट्रैफिक जाम से गुस्साये झल्लाते जा रहे हैं उन्हें लगता था वो कोई बोझा-सा ढो रहे हैं अपने स्कूटर पर!
© चिराग़ जैन
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