Wednesday, October 5, 2016

सबूत पेश करो!

मुल्ला नसीरुद्दीन ने पूरे कॉमिक जगत का सुकून छीन रखा था। वह जब-तब उनके घर में घुसकर दंगा करता और पूरी दुनिया की नज़र में शरीफ बनकर अपनी कोठरी में जा छुपता। एक रात, अँधेरे में कोई आया और मुल्ला नसीरुद्दीन के कान पर ज़ोरदार झापड़ चिपका गया। मुल्ला सारी रात गाल सहलाता हुआ सोचता रहा कि हमलावर उस तक पहुँचा कैसे!

सुबह लोगों ने मुल्ला से पूछा - "क्यों मुल्ला गाल कैसे सूज गया?"

मुल्ला खिसिया कर बोला - "क क कुछ नहीं, मच्छर काट गया।"

सुनकर पास खड़े चाचा चौधरी की हँसी छूट गई। वे शरारती लहजे में मुल्ला से बोले - "मच्छर को क्यों इल्ज़ाम दे रहे हो, साफ़-साफ़ बताओ शेर ने पंजा मारा है।"

मुल्ला समझ गया कि रात के अँधेरे में जो शेर आया था उसके नाख़ून चाचा चौधरी ने ही तराशे थे। झेंप मिटाते हुए मुल्ला बोला - "ऐसा कक.. कुछ नहीं है। ये चौधरी झूठ बोल रिया है, शेर ने पंजा मारा है तो शेर ये बात साबित करे।"

मुल्ला की खिसियाई हालत पर चाचा चौधरी भीतर ही भीतर हँसते रहे। शेर तो सबूत लेकर नहीं आया लेकिन मुल्ला पूरे गाँव में बताता फिर रहा है कि शेर ने पंजा मारा होता तो सबूत लेकर ज़रूर आता।

उधर बिल्लू, मोटू-पतलू, पिंकी, घसीटाराम ये सोच कर हैरान हैं कि हमारे बिना मतलब के सवालों से चाचा चौधरी को इतना वक़्त कैसे मिल गया कि वे मुल्ला को उसके घर में जाकर धुन आए। हाल ही में घसीटाराम ने चाचा को नीचा दिखाने के लिए मुल्ला के सुर में सुर मिलाया है - "यदि शेर ने पंजा मारा है तो चाचा चौधरी उससे आक्रमण के सबूत पेश करने को क्यों नहीं बोलते!" 

* इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं। इनका किसी भी सर्जीकल स्ट्राइक से कोई सम्बन्ध नहीं है। 

© चिराग़ जैन

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