गुलमोहरों से दूब घास जीत जाती है
मन की उमंग का हो सामना अभाव से तो
भीतर संजो के मधुमास, जीत जाती है
मीरा की दीवानगी पे धन पानी भरता है
साँवरे के दर्शनों की प्यास जीत जाती है
साँवरिया सेठ जी का धाम बनने लगे तो
जमुना के तीर से बनास जीत जाती है
© चिराग़ जैन
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