Wednesday, October 12, 2016

साँवरिया सेठ जी का धाम

पूजन की थाली में सँवरने की होड़ हो तो 
गुलमोहरों से दूब घास जीत जाती है 
मन की उमंग का हो सामना अभाव से तो 
भीतर संजो के मधुमास, जीत जाती है 
मीरा की दीवानगी पे धन पानी भरता है 
साँवरे के दर्शनों की प्यास जीत जाती है 
साँवरिया सेठ जी का धाम बनने लगे तो 
जमुना के तीर से बनास जीत जाती है 

© चिराग़ जैन

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