गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Wednesday, September 30, 2020
रात के अंधेरे में
Tuesday, September 29, 2020
बलात्कार की जड़ें
Monday, September 28, 2020
जिस दिन साँस पराई होगी
मन की बेचैनी ने आज फिर गीत की देह धारण की है :
देह बचेगी स्पर्श न होगा
आँखें होंगीं दर्श न होगा
सब अपनों के आने का भी
मुझको किंचित हर्ष न होगा
उस दिन अधरों पर भी कोई याद नहीं मुस्काई होगी
जिस दिन साँस पराई होगी
जिन होंठों की मुस्कानों से मुझको प्राण मिला करते हैं
जिन चेहरों के खिल जाने पर मन के तार हिला करते हैं
उन चेहरों पर पीर दिखेगी
पीड़ा की तस्वीर दिखेगी
मेरी यादों में गुमसुम-सी
ख़ुशियों की जागीर दिखेगी
शायद उस दिन मेरे कारण वे आँखें भर आई होंगी
जिस दिन साँस पराई होगी
जिस देहरी पर मेरे होने से सुख सारा हो जाता है
जिस आंगन में मेरी आहट से उजियारा हो जाता है
उस आंगन में क्रंदन होगा
कण-कण में निस्पंदन होगा
मेरी माटी की काया के
चरणों का अभिनन्दन होगा
शायद उस दिन इस आंगन की फुलवारी मुरझाई होगी
जिस दिन साँस पराई होगी
मन में रखने वाले मुझको, कंधों पर लेकर जाएंगे
मेरे संगी-साथी मुझको, सन्नाटे में धर आएंगे
पानी से रिश्ते धोऊंगा
उस दिन कड़वा सच ढोऊंगा
उस दिन मेरा मौन रहेगा
उस दिन मैं माटी होऊंगा
उस दिन मेरे पास समूचे जीवन की तन्हाई होगी
जिस दिन साँस पराई होगी
© चिराग़ जैन
Monday, September 14, 2020
भाषा : सिनेमा से समाज तक
Sunday, September 13, 2020
राजभाषा का निरीक्षण
Saturday, September 12, 2020
उलाहना
तुम उजालों की प्रतीक्षा में समय व्यतीत करना
मैं पसीने से नदी का पाट भरने जा रहा हूँ
तुम किसी बरसात की मनुहार का संगीत गढ़ना
कर्मरत अर्जुन हुआ तो कृष्ण उसके सारथी थे
देवता जीवन बदल सकते नहीं केवल भजन से
आ गई चलकर अकेली जो गहन अंधियार में भी
जूझना ही सीख लेते, भोर की पहली किरण से
भाग्य की हर हार को मैं जीत करने जा रहा हूँ
तुम स्वयं को हस्तरेखा बाँच कर भयभीत करना
पाँव चलने के लिए तैयार हैं बस ये बहुत है
क्यों करूँ परवाह इसकी, कौन मेरे साथ आया
मन, भुजाएँ, श्वास, धड़कन, दृष्टि मेरे पास हो बस
और सब कुछ बोझ भर है, जो अभी तक है जुटाया
मैं स्वयं के हाथ से अब ख़ुद सँवरने जा रहा हूँ
तुम समूची सृष्टि से बस आचरण विपरीत करना
सृष्टि का हर तंत्र मेरे ही लिये निर्मित हुआ है
नियति के हर शाप और वरदान का कारण स्वयं हूँ
यक्षप्रश्नों के सभी उत्तर मुझी को खोजने हैं
मैं स्वयं के हर पतन-उत्थान का कारण स्वयं हूँ
मैं जगत् का सौख्य अपने नाम करने जा रहा हूँ
तुम सदा उपलब्ध दुःख-सुख को समर्पित प्रीत करना
© चिराग़ जैन
वधस्थल में है लोकतंत्र
Tuesday, September 8, 2020
रिव्यू योरसेल्फ पिटीशन योर ऑनर!
Saturday, September 5, 2020
पत्रकारिता का अंधा युग
Friday, September 4, 2020
भाई-भतीजा
फिर न चाचा रहा ना भतीजा रहा
लोग अभिनय के दम पर सफल हो गए
ख़ूबसूरत भले थोबड़ा भी नहीं
अपने बेटे को हीरो बना ना सके
जुबली हीरो व यश चोपड़ा भी नहीं
काम पर्दे पे बोला न अरबाज़ का
भाई का भाई पर मन पसीजा रहा
जब भी जनता के हाथों नतीजा रहा
फिर न चाचा रहा ना भतीजा रहा
सिर्फ एप्रोच से काम चलता अगर
तो गावस्कर का बेटा निकलता नहीं
बाप ने ओडीआई खिला तो दिया
फील्ड में बाप का नाम चलता नहीं
दो सिरीज़ों में रोहन बाहर हो गया
उसकी क़िस्मत में दौरा न तीजा रहा
जब भी जनता के हाथों नतीजा रहा
फिर न चाचा रहा ना भतीजा रहा
तीन पीएम हुए एक परिवार से
और बाकी के ग्यारह कहाँ से हुए
राष्ट्रपतियों की सूची उठा लीजिए
सब ज़मीनी थे या आसमां से हुए
ठाकरे और यादव के परिवार थे
जिनमें चाचा का दुश्मन भतीजा रहा
जब भी जनता के हाथों नतीजा रहा
फिर न चाचा रहा ना भतीजा रहा
चीनी एप्लिकेशंस बैन
तोय ऐसो मज़ा चखाय देंगे
तेरा छिन जाएगा चैन,
तोय नानी याद दिलाय देंगे
जिन वीरों का सबरा जीवन टीकटोक ने खाया
एप्लिकेशन बैन करा के हिल्ला याद दिलाया
मेहनत करके दिन-रैन,
तेरा धंधा तले लगाय देंगे
तेरा छिन जाएगा चैन
तोय नानी याद दिलाय देंगे
अपना माल वहीं पर रख ले, हम ख़ुद बनवा लेंगे
तेरे घर कम पड़ता हो तो, तुझको भिजवा देंगे
तेरे छोटे-छोटे नैन
प्रोडक्शन से फटवाय देंगे
तेरा छिन जाएगा चैन,
तोय नानी याद दिलाय देंगे
चीनी धमकियां
गोल-गोल न घुमाओ सीधे-सादे सीन को
हाथ मिल जाने से न कमज़ोर मान लेना
जड़ से उखाड़ सकते हैं आस्तीन को
बड़े-बड़े कोबराओं को नचाना जानते हैं
फिर न उठाना पड़े हमें उस बीन को
भारत के वर्तमान पीएम को जान लेना
चाय में मिला के कहीं बेच न दे चीन को