गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Wednesday, October 7, 2020
बलात्कार को ओनर किलिंग बनाने की शुरुआत
सियासत किस तरह करती रही बर्ताव, मत भूलो कुरेदेंगे तुम्हारे ही बदन के घाव, मत भूलो तुम्हारी चीख़ से कुर्सी न हिल जाये मसीहा की अरे ओ हाथरस वालो, अभी उन्नाव मत भूलो
No comments:
Post a Comment