Sunday, May 31, 2020

वन्स अपॉन ए टाइम

वन्स अपॉन ए टाइम। जम्बूद्वीपे भरतखण्डे एक ऐसा राजा था, जिसे प्रशंसा सुनने का बहुत चाव था। उसने राजा बनते ही अपने महल में से बहादुर सिपाहियों को हटाकर वहाँ सैनिक के कपड़ों में प्रशंसक खड़े कर दिए।
प्रशंसा और चाटुकारिता की क्षमता देखते हुए राजतंत्र को पद तथा पदोन्नतियाँ दी गईं। जब कोई नागरिक राजा के दरबार में समस्या लेकर जाता तो प्रशासकों के वेश में बैठे चाटुकार, उसकी समस्या सुनने के बजाय उसे राजा की प्रशंसा से भरी पुस्तिका थमा देते। जो कोई राज्य की किसी अव्यवस्था या समस्या की बात करता, उस पर राजद्रोह का अभियोग चलाकर उसे पड़ोसी देश चले जाने का दण्ड सुना दिया जाता।
एक दिन राज्य पर शत्रु ने आक्रमण कर दिया। सारा राज्य तहस-नहस हो गया। जनता मरती रही और राजमहल राजा की महानता की पुस्तिकाएँ जारी करता रहा। राज्य को ध्वस्त करने के बाद शत्रु राजमहल में घुस गया।
राजा अपनी जान बचाने के लिए भागने लगा। उसने महल के द्वार पर खड़े सिपाही से रक्षा करने की गुहार की। गुहार सुनते सैनिक ने अपने शस्त्र नीचे रखे और तालियाँ बजाते हुए गाने लगा- ‘वाह महाराज, क्या भाग रहे हैं! वाह राजन, क्या दौड़ रहे हैं!’
अगले दिन प्रशंसा पुस्तिका में छपा- ‘हमारे राजा ने विश्व में सबसे तेज़ दौड़ने का कीर्तिमान स्थापित किया।’

© चिराग़ जैन

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