गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण का अवधी में अनुवाद करके रामचरितमानस लिखी। संस्कृत विद्वानों ने ‘कट्टर संस्कृतभाषी’ नामक व्हाट्सएप ग्रुप में मानस को संस्कृत के लिए संकट घोषित करते हुए फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर तुलसी विरोध की फौज तैयार कर ली।
मानस अनपढ़ों का ग्रन्थ है, तुलसी की जाति का पता नहीं है, तुलसी अनपढ़ है, तुलसी भिखमंगा है जैसे मेन्युपुलेटिड तथ्यों से शुरू होकर तुलसी मुग़लो का चमचा है, तुलसी विदेशी फंडिंग से देशविरोधी गतिविधियाँ करता है, तुलसी खानखाना का दोस्त है, तुलसी हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान कर रहा है, तुलसी का असली नाम तुफ़ैल खान है, तुलसी मुफ्त का चन्दन घिसता रहता है - जैसे आधारहीन विवादों तक तुलसी का विरोध हुआ। टेक्स्ट, पोस्टर, फ़ोटो, वीडियो और ऑडियो जैसे हर माध्यम से व्यवस्थित रूप से मानस और तुलसी का विरोध किया गया। कई दिन तक हंगामा चलता रहा और कई लोगों ने तुलसी को ब्लॉक कर दिया।
बाद में कट्टर संस्कृतभाषी लोगों ने अपने यूट्यूब चौनल पर व्यूज़ बढ़ाने के लिए थम्बनेल बनाया, जिस पर लिखा था - ‘ऐसी रामकथा आपने पहले नहीं सुनी होगी - हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता’!
© चिराग़ जैन
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