Thursday, May 28, 2020

मेरे शुभ के आकांक्षी

प्यार, दुलार, अपनत्व और आदर -ये चार ऐसे तत्व हैं, जिनसे किसी मनुष्य के जीवन की सार्थकता का अनुमान किया जा सकता है। आज मुझे स्वयं को यह बताने में गौरव का अनुभव हो रहा है कि मेरे कुनबे ने इन चारों तत्वों की मेरे जीवन पर उन्मुक्त हृदय से वृष्टि की है।
मेरे जन्मदिन पर हर वर्ष बधाइयों का सिलसिला चलता है। हर वर्ष इनबॉक्स और सोशल मीडिया पर मेरे अपने, मुझे ख़ास होने का एहसास कराते हैं। किन्तु इस बार बात कुछ अलग थी। इस बार मुझे ऐसा सुख मिला है ज्यों एक साथ दर्जनों हाथ मेरे सिर पर छत्र बनकर उपस्थित हो गए हों। एक साथ दर्जनों धड़कनों ने मुझे आलिंगनबद्ध कर लिया हो। एक साथ दर्जनों आँखों में मैंने अपने प्रति विश्वास की चमक देखी हो।
यह सुख की देहरी से एक कदम आगे बढ़कर ‘आनंद’ का अनुभव है। क्योंकि जो हाथ मेरे सिर पर छत्र बने हैं, उनके अनुभव की लकीरें किसी भी पेशानी के पसीने को तिलक में बदलने का सामर्थ्य रखती हैं। जो धड़कनें मुझसे आलिंगनबद्ध हुई हैं, उनकी ताल पर इस देश के लाखों काव्यप्रेमियों के दिल धड़कते हैं। जिन आँखों में अपने प्रति विश्वास देखा है, उनमें सृजन के भविष्य की चमक देखकर स्वयं माँ हिंदी आह्लादित होती है।
वर्तमान युग के अभिशप्त एकाकीपन से गुज़रते हुए आज का दिन ऐसा रहा, ज्यों सन्नाटे के अभ्यस्त कानों को संगीत मिल गया हो।
आदरणीय सुरेन्द्र शर्मा जी, अशोक चक्रधर जी, कुँअर बेचैन जी, विष्णु सक्सेना जी, अरुण जैमिनी जी, आशकरण अटल जी, महेंद्र अजनबी जी, कीर्ति काले जी, रमेश शर्मा जी, सोनरूपा विशाल जी, विनीत चौहान जी, रमेश मुस्कान जी, मनीषा शुक्ला और निकुंज शर्मा के मेरे विषय में बोले गए शब्द सहेजकर प्रिय प्रवीण अग्रहरि ने जो वीडियो तैयार की उसे देखकर ऐसा लगा कि अठारह वर्ष के कवि सम्मेलनीय जीवन में जो भी साधना मैं कर पाया हूँ, उसके अनुपात में कई गुना अधिक मूल्यवान वरदान मिल गया है।
आदरणीय हरिओम पँवार जी से लेकर श्री संतोष आनन्द जी, श्री कृष्णमित्र जी, उदय प्रताप जी और हेमन्त श्रीमाल सरीखे दिनकरों ने हिंदी के एक छोटे से कण को दुलारकर उसे टिमटिमाने का अधिकार दे दिया। प्रवीण शुक्ला जी, कुमार विश्वास जी, सरिता शर्मा जी, आशीष अनल जी, मदन मोहन समर जी, वेद प्रकाश वेद जी, सीता सागर जी, मधुमोहिनी उपाध्याय जी, तेजनारायण शर्मा जी, महेंद्र शर्मा जी, शालिनी सरगम, अर्जुन सिसोदिया जी, अनुज त्यागी जी, जैनेन्द्र कर्दम जी, मनोहर मनोज जी, कमलेश शर्मा जी, उर्वशी प्रभात जी, राकेश सोनी जी, हिमांशु बवंडर, लक्ष्मण नेपाली, राहुल चौधरी, विनय विश्वास जी, सौरभ सुमन, सुनील व्यास जी, शुभि सक्सेना, अनिल अग्रवंशी जी, सूरज राय सूरज जी, दिनेश रघुवंशी जी, हरेश चवुर्वेदी जी, वत्सला जी, मुकुल भाई, संदीप जी, नरेश जी, घनश्याम दा, इकराम भाई, रमन जी, संध्या जी, सोनल, चांदनी जी, अतुल जी, गजेंद्र, अजात भाई, जमुना दद्दा, नंदिनी जी, सुभाष जी, रास भाई, सपना जी, रोहित, विवेक जी, भूषण जी, सिया जी, दीपिका जी, शशि जी, वेद, नोकिल, भूमिका जी, शम्भू, सुदीप, चरण, अजय जी, अर्चना जी, प्रज्ञा जी और सैंकड़ों सितारों से दमकती काव्य की आकाश गंगा ने मेरे जन्मदिन को अजर ज्योति से जगमग कर दिया।
हिंदी कविता से जुड़े हज़ारों अपनों ने इतने प्रेमसिक्त शुभकामना संदेश भेजे कि मन प्रसन्न हो गया। प्रत्येक शुभकामना और आशीष इस दायित्व का बोध कराते हैं कि विश्वास बनाए रखना किसी साधना से कम नहीं है। महेंद्र भैया ने श्रद्धेय राजगोपाल जी का ज़िक्र करके मेरे मन के उस पूजागृह के द्वार खोल दिये जिसमें प्रवेश करने से पूर्व मैं दुनियादारी से सने हाथ धोना कभी नहीं भूलता।
मेरे आत्मबल को पाथेय देने वाले हर शुभकामना संदेश का आभारी हूँ।

~ चिराग़ जैन

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