Monday, April 5, 2021

कलकत्ता से कोरोना गिफ्ट

बंगाल चुनाव की हलचल के बीच ‘लपेटे में नेताजी’ की शूटिंग के लिये कोलकाता जाना तय हो गया। कार्यक्रम के प्रोड्यूसर आशीष पाण्डे ने पिछली बार हुगली नदी में स्टीमर पर शो शूट करने का प्रयोग किया था, जिसकी काफी प्रशंसा हुई। उसी से प्रभावित होकर इस बार भी उसी प्रारूप में शो शूट होना था। 1 अप्रेल को कार्यक्रम की रूपरेखा बनी कि 4 अप्रेल को दो एपिसोड सुबह- सुबह शूट किये जाएंगे और एक एपिसोड शाम को। 3 अप्रेल की दोपहर को दिल्ली से फ्लाइट थी, सो हमारे पास तीन एपिसोड्स की तैयारी करने के लिये कुल 48 घण्टे का समय था।
ऐसी स्थिति पहले भी कई बार हुई है, लेकिन इस बार कठिनाई यह रही कि कोलकाता चुनाव पर ही पहले चार एपिसोड शूट किये जा चुके थे इसलिए चुनावी माहौल की काफी सामग्री हम पिछले शूटिंग शेड्यूल में प्रयोग कर चुके थे। उसी विषय और उसी पात्रों के साथ लगभग वैसे ही घटनाक्रम पर तीन एपिसोड्स तैयार करने थे वो भी केवल 48 घण्टे में।
चारों आमंत्रित कवि अपने अनुभव, निष्ठा तथा क्षमता के बल पर इस चुनौती से जूझ ही लेंगे यह प्रोडक्शन को विश्वास था, और अंततः यह विश्वास बना रह सका। लेकिन यह यात्रा बेहद रोमांचक रही। दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुँचा तो सुदीप भोला जबलपुर से आकर सुबह से प्रतीक्षारत थे। उन्होंने बताया कि कोरोना की नयी लहर के चलते दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरते ही उनका कोविड टेस्ट किया गया है। हवाई अड्डे पर भी लोगों के चेहरे पर कोरोना का भय और व्यवहार में सावधानी देखकर लगा कि जनता इस वायरस के दूसरे आघात से जूझने के लिये तैयार है।
शाम 6 बजकर 30 मिनिट पर कोलकाता में लैंडिंग हुई। हवाई अड्डे की एक दर्जन कन्वेयर बेल्ट्स में से जिस पर हमारा लगेज आना था, वह अचानक चलते-चलते बन्द हो गयी। लगभग 40-45 मिनिट का समय इस अनचाही परिस्थिति ने नष्ट किया, वह भी उस समय जब हम चारों में से कुछ कवियों को होटल पहुँच कर सुबह 5 बजे शूट होनेवाले 2 एपिसोड्स के लिये कविताएँ पूरी करनी थीं। येन-केन प्रकारेण होटल पहुँचे और जल्दी-जल्दी भोजन की औपचारिकता निभाकर सभी सुबह की तैयारी में जुट गये। लिखना भी ज़रूरी था और स्क्रीन पर फ्रेश दिखने के लिये सोना भी ज़रूरी था। मैं लगभग पूरी तैयारी करके ही घर से निकला था, इसलिए तुरन्त सो गया।
रात में अचानक किसी की उबकाइयो की आवाज़ से नींद खुली। तंद्रा की अवस्था से बाहर आया तो ज्ञात हुआ कि सुदीप भोला कई बार उल्टी कर चुके हैं और बुखार जैसा महसूस कर रहे हैं। स्वाभाविक रूप से पहला संदेह कोविड का ही हुआ। सुबह तक सुदीप परेशान रहे और सुबह तक स्थिति यह हो गयी कि उनका चेहरा शिथिल हो गया।
पाँच बजे शूटिंग के लिये जाना था, लेकिन मैं और कार्यक्रम के संपादक अमृत आनंद जी मुँह अंधेरे ही सुदीप को निकटतम नर्सिंग होम में ले गये। आवश्यक जाँच तथा आवश्यक उपचार देकर एक डेढ़ घण्टे में हम सुदीप को वापिस होटल ले आये। कार्यक्रम सुदीप के बिना करने का निर्णय लिया जा चुका था, लेकिन जब तक मैं नहा-धोकर लौटा तब तक सुदीप शूटिंग पर चलने का मन बना चुके थे।
बिजली की सी फुर्ती दिखाते हुए सुदीप दस मिनिट में नहा-धोकर सेट पर जाने के लिये तैयार थे। कोलकाता की उमस ने सेट पर पहुँचते ही ऊर्जा शोषित करना प्रारंभ कर दिया। पहला शूट प्रारम्भ होते-होते सात-सवा सात का समय हो गया था। उमस का प्रकोप हुगली में तैरते स्टीमर पर भी कम न हो सका। निस्पंद वातावरण में क्षण-क्षण और उग्र होते सूर्य के सम्मुख जैसे-तैसे पहला एपिसोड रिकॉर्ड हो गया। इस मौसम ने सुदीप की जुटाई गई ऊर्जा में सेंध लगा दी। मैंने पहली बार सुदीप के चेहरे पर पीड़ा देखी। अभी नीचे आकर साँस भी नहीं ले सके थे कि दूसरे एपिसोड की तैयारी हो गयी। सुदीप इस बार भी हमारे साथ रहे। सूरज और प्रचंड हो गया था। उमस और प्रबल हो गयी थी। लेकिन शो मस्ट गो ऑन का पालन करते हुए हम शूटिंग करते रहे। डेढ़ घंटे की इस शूटिंग ने हम सभी को ऊर्जाहीन कर दिया। स्थिति यह हुई कि होटल पहुँचते-पहुँचते मेरे शरीर ने हिम्मत छोड़ दी और मैं शिकंजी इत्यादि का सेवन करके बिस्तर पर लंबलोट हो गया। जब उठा तो पता चला कि सुदीप दोबारा अस्पताल गए थे, लेकिन डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह देकर कुछ विटामिन इत्यादि की टेबलेट्स दे दीं। जब मैं उठा तब तक सुदीप सो चुके थे। दवाई उनके सिरहाने रखी थी, लेकिन उन्होंने खाई नहीं थी।
मन घबरा रहा था, सुदीप को कई बार उठाने का प्रयास किया, लेकिन वे हुंकारा भरकर ऐसे सो जाते, ज्यों कोई भयंकर नशे में सो रहा हो। उमस से थके हुए शरीर को वातानुकूलित कमरे में सुला दिया जाए तो उस पर ऐसा ही नशा चढ़ता है, इसका अनुभव मैं पहले भी कोलकाता शहर में कर चुका हूँ, इसलिए सुदीप की नींद से मैं चिंतित नहीं था, लेकिन उनके बिना खाये-पिये रहने से परेशान ज़रूर था।
बहरहाल, शाम के शूट का समय हो गया। इस बार सुदीप को शूट पर नहीं जाना था, यह सुनिश्चित कर दिया गया। सुदीप निद्रा से तंद्रा की अवस्था में आ गए थे लेकिन शो तीन ही कवियों के साथ होना था, सो सुदीप के लिये खिचड़ी ऑर्डर करके हम होटल से निकल गए। सेट पर पहुँचे तो सुबह जैसी उमस का स्थान शाम की मोहक हवा ने ले लिया था। पूरा जहाज रौशनी से जगमगा रहा था। टीएमसी, भाजपा और सीपीआई के नेतागण आ चुके थे, श्रोताओं की उपस्थिति हो चुकी थी और कवियों और एंकर ने मेकअप भी ले लिया था। उसी वक़्त अचानक मंद समीर ने झंझावात का रूप ले लिया। हुगली की लहरों में जैसे कोई भूकंप आया गया हो। आसमान को चीरती बिजली कड़कने लगी और हवा ने जहाज पर लगे सेट को तहस-नहस करना शुरू कर दिया। आनन-फानन में कैमरे और लाइट्स छत से उतारकर नीचे लाई गईं। यूनिट के लोगों ने भाग-भागकर कुर्सियाँ इत्यादि उड़ने से बचाई। सारा तामझाम यूनिट एक छोटे से कमरे में समा गए। ऑडिएंस और लीडर, नदी किनारे किसी सुरक्षित स्थान पर तूफान के रुकने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
यकायक तेज़ बारिश शुरू हो गयी। स्पष्ट हो गया कि अब शो नहीं हो सकेगा। अब सब बारिश रुकने का इंतज़ार केवल इसलिए कर रहे थे कि अपने-अपने घर जा सकें। सारी मेहनत पर पानी फिर गया था लेकिन यूनिट और हमारे माहौल तनाव या क्षोभ के स्थान पर इस आकस्मिक स्थिति का हंसी-ठट्ठा चल रहा था। बारिश हल्की हो रही थी और मौसम खुशनुमा हो चला था। अचानक आशीष पांडे लाइट्स टेक्नीशियन से बोले- ‘दोबारा सेटअप लगाने में कितना समय लगेगा?’ आशीष जी के इस सवाल ने संकेत दे दिया कि शूटिंग रद्द नहीं होगी। जिस फुर्ती से सेट समेटा गया था, उससे दोगुनी ऊर्जा के साथ सेट दोबारा तैयार किया गया। एक-डेढ़ घंटे में दोबारा रौशनी नाचने लगी। जहाज फिर से जगमगा उठा। देर से ही सही, लेकिन शूटिंग शुरू हुई। शानदार एपिसोड शूट हुआ।
ऐसा लगा कि सुबह प्रकृति ने जो ऊर्जा सोख ली थी, वह दस गुनी करके हम पर बरसा दी। ऊर्जा से भरे हुए होटल लौटे तो देखा सुदीप के चेहरे पर भी कुछ रंगत लौटने लगी थी। रात के भोजन के नाम पर नाममात्र का कुछ खाकर सब सो गए। सुबह 7 बजे एयरपोर्ट के लिए निकलना था।
दिल्ली हवाई अड्डे पर सुदीप का जो कोविड टेस्ट हुआ था, उसकी रिपोर्ट अभी तक भी नहीं आई है। एयरपोर्ट ले जाने के लिए जो टैक्सी आई, उसका टायर पंक्चर हो गया। एयरपोर्ट पहुँचे तो ज्ञात हुआ कि जिस जहाज से जाना है, उसमें तकनीकी ख़राबी आ गयी। 10 बजे उड़नेवाली फ्लाइट ने 1 बजे उड़ान भरी और इस पंक्ति के लिखते-लिखते दिल्ली हवाई अड्डे पर टच-डाउन हो गया है। शानदार लेंडिंग हुई।
सुदीप कल सुबह की फ्लाइट से जबलपुर चले जाएंगे। और मैं अभी घर पहुँचते ही कुंडली बाँचूंगा कि किस मुहूर्त में घर से निकले थे।

© चिराग़ जैन

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