उनकी अदालतें आपकी ज़िन्दगी घिस देंगी
फिर भी वे सामाजिक न्याय पर इतराएँगे
उनके थाने आपको नोच डालेंगे
फिर भी वे आंतरिक सुरक्षा पर फ़ख़्र करेंगे
देश के कुछ हिस्सों में संविधान लागू नहीं होगा
फिर भी वे प्रभुसत्ता सम्पन्न होने का दम्भ भरेंगे
वे अतिक्रमण करने वालों के हाथ जोड़ेंगे
वे समय पर टैक्स देने वालों की कमर तोड़ेंगे
पर हम यह सब चुपचाप देखते रहेंगे
क्योंकि हमें दिन-रात पिस-पिसकर
वो टैक्स का पैसा जुटाना है
जिसका हिसाब मांगने का अधिकार
हमें नहीं दिया जाएगा
लोकतंत्रात्मक गणराज्य के
इस फूहड़ नाटक से
पर्दा या प्रश्न उठाने वाले को
राष्ट्रद्रोह, न्यायालय की अवमानना और
संसद के विशेषाधिकार उल्लंघन का
दोषी मान लिया जाएगा।
राष्ट्रवादियों की सरकार हो
और मैंने आवाज़ उठाई
तो मुझे वामपंथी कहकर
नकार दिया जाएगा।
सेक्युलरों की सरकार हो
और मैंने बोलना चाहा
तो मुझे साम्प्रदायिक कहकर
मेरा तिरस्कार किया जाएगा!
वामपंथी सरकार हो और मैं बोला
तो मुझे पूंजीपति मान लिया जाएगा।
हर दल ने
अपने ऊपर उठने वाले प्रश्नों से
बचने के लिए
कोई न कोई शब्द गढ़ रखा है
ताकि जनता के सवालों से
उलझे बिना
आगे बढ़ा जा सके
ताकि जब कोई 'नागरिक'
सवाल पूछे 'अपनी सरकार से'
तो उसकी ज़ुबान पर
उस एक शब्द का ताला जड़ा जा सके।
© चिराग़ जैन
#ChiragJain
thechiragjain.blogspot.com
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