Tuesday, April 28, 2020

बिरहन का सवैया

ऐसी दारी की आई बीमारी अबै, सब देस के आँगन-द्वार बंधे हैं
कौन गली भर्तार बंधे, काऊ खोह में सोलह सिंगार बंधे हैं
इत गाय के मौह पे छीको बंधो, उत खूटे पे दूर बिजार बंधे हैं
जमुना जी के पार फँसी बंसुरी, अरु ओंठ मुए इस पार बंधे हैं

© चिराग़ जैन

Ref : Lockdown

No comments:

Post a Comment