ससुरे दफ़्तर है गए बन्द
घर पर बैठे मूसरचन्द
घर पर मूसरचन्द
खाली हो गए सबरे फंड
देसी घी के परठाँ में भी कमी बताने वारे
साँझ-सबेरे लूखी रोटी चाब रहे बेचारे
भूल गए रबड़ी श्रीखण्ड
घर पर बैठे मूसरचन्द
घर पर मूसरचन्द
खाली हो गए सबरे फंड
आसपास की ग्वालिन के संग रास रचाना छूटा
कलियाँ सबरी ग़ायब है गई, भँवरे का दिल टूटा
कलियन को बन गौ गुलकंद
घर पर बैठे मूसरचन्द
घर पर मूसरचन्द
खाली हो गए सबरे फंड
बीड़ी भई पराई, दारू हुई पहुँच से दूर
सूख-सूख कर भए छुआरे, रस से भरे खजूर
सबका ठंडा हुआ घमंड
घर पर बैठे मूसरचन्द
घर पर मूसरचन्द
खाली हो गए सबरे फंड
© चिराग़ जैन
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