रावण की क़ैद में भी राम का खयाल; माता
जानकी के मन को निहाल कर देता है
पैरों से हुई थी भूल और पेट भोजन में
कई-कई दिन अंतराल कर देता है
वाटिका में रावण प्रवेश करता है; हाय
वैदेही का दुःख विकराल कर देता है
भीतर के पाप से है चंद्रहास व्यर्थ; पर
आत्मबल तिनके को ढाल कर देता है
© चिराग़ जैन
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